दिप जल रहे हृदय हृदय में भारत भारत भूमी के मंदिर में ।। धृ ।।
युग युग के सब कलह पुराने अब मिट्टी में जाने दो
नव यौवन की नदी तरंगे नये जोश से गाणे दो ।। १ ।।
आज मृत्यूका झंडा उतारा नव यौवन की जीत हुई
काल रात्रिका गया अंधेरा उठी गगनमे उषा नई ।। २ ।।
नव भारत का गुलशन बहरा फुल खिले है कंकण में
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