राह सत्य की अपनाकर तुम आगे बढना सीख
लो ॥ धृ ॥
प्रखर धूप से इस जीवन में छाँव के दिन भी आते हैं
दर्द के रिश्ते भी यहाँ मरहम फिर बन जाते हैं
रिश्ते नातों का सम्मान तुम भी करना सीख लो
राह सत्यकी ॥ १ ॥
चाहे कितनी भी मुश्किलें हो मंज़िल को तो पाना है
काँटोपर चलना पडे तो बने फूल मुस्काना है
जीने की इस राह पर तुम खुशी बाँटना सीख लो
राह सत्यकी ॥ २ ॥
इस जिंदगी के मेले मे सबको इक दिन खोना है
खोके हमको कुछ है पाना गिरके फिर संभलना है
भेद भाव को दूर करो सबको अपनाना सीख लो
राह सत्यकी ॥ ३ ॥
गीत :- एकनाथ आव्हाड
संगीत :- श्रीम. सोनल गणवीर
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